प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने संघ के योगदान, देश सेवा और सामाजिक कार्यों की सराहना की। साथ ही उन्होंने RSS के स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। RSS की स्थापना: 100 साल पहले का महत्व पीएम मोदी ने कहा कि RSS की स्थापना 100 साल पहले कोई संयोग नहीं था। यह भारतीय संस्कृति और राष्ट्र चेतना की प्रतिध्वनि थी। उन्होंने बताया कि संघ ने हमेशा अन्याय पर न्याय, अंधकार पर प्रकाश की जीत के लिए काम किया। संघ का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और समाज के हर क्षेत्र में योगदान देना रहा है। मोदी ने कहा कि संघ और उसके स्वयंसेवक हमेशा “राष्ट्र प्रथम” की भावना के साथ कार्यरत रहे हैं। राष्ट्र सेवा और आपदाओं में योगदान प्रधानमंत्री ने संघ के स्वयंसेवकों के इतिहास का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि विभाजन, 1956 के भूकंप, 1962 और 1971 के युद्ध, 1984 के सिख दंगे में संघ के स्वयंसेवक सबसे आगे खड़े रहे। पीएम मोदी ने गुरुजी के उस कथन को याद किया –"किसी दूसरे के दुख को दूर करने खुद कष्ट उठाना निस्वार्थ हृदय का परिचायक है।" इस अवसर पर पीएम ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक देशभर में निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि संघ ने घुसपैठ, आर्थिक निर्भरता और डेमोग्राफिक बदलाव जैसी चुनौतियों के लिए भी ठोस रोडमैप तैयार किया है। समाज के हर क्षेत्र में संघ का योगदान पीएम मोदी ने बताया कि संघ समाज के कई क्षेत्रों में लगातार काम कर रहा है। चाहे शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण हो, या सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक विकास का कार्य, संघ ने हर क्षेत्र में योगदान दिया है। उन्होंने हेडगेवार जी का उदाहरण देते हुए बताया कि सामान्य व्यक्ति को चुनकर देश के लिए तैयार करना ही संघ का मूल उद्देश्य रहा है। पीएम ने कहा, “संघ ऐसी भूमि है, जहां स्वयं सेवक की अहं से वयं की यात्रा शुरू होती है। शाखा में व्यक्ति का सामाजिक और मानसिक विकास होता है और उसमें राष्ट्र निर्माण का भाव पनपता है।” संघ के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम RSS दशहरे से अपना शताब्दी वर्ष कार्यक्रम शुरू कर रहा है। 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। इनमें प्रमुख हैं: • विजयादशमी उत्सव – मंडल और बस्ती स्तर पर गणवेश वाले स्वयंसेवक व उनके परिवारों की भागीदारी।• गृह संपर्क अभियान – हर घर जाकर 15 मिनट संघ की जानकारी देना।• जन गोष्ठियां – मजदूर यूनियन, ऑटो चालकों और प्रबुद्ध वर्ग के बीच संवाद।• हिंदू सम्मेलन – नगर और खंड स्तर पर सामाजिक वर्गों को जोड़ना।• सद्भाव बैठकें – प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, संस्थाओं और संतों की सहभागिता।• युवा सम्मेलन – 15-40 वर्ष के युवाओं के लिए खेल-कूद और संवाद।• शाखा विस्तार – सुबह और शाम की शाखाओं का देशभर में विस्तार। पीएम ने कहा कि संघ के ये कार्यक्रम न केवल संगठन की ताकत को दिखाते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव और राष्ट्र चेतना भी पैदा करते हैं। डाक टिकट और सिक्का: संघ का प्रतीक प्रधानमंत्री ने स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। सिक्के पर एक तरफ राष्ट्रीय चिन्ह है और दूसरी तरफ सिंह पर विराजमान भारत माता की छवि और संघ के कार्यकर्ता दिखाए गए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि ये प्रतीक संघ के संगठित और निस्वार्थ प्रयासों का सम्मान हैं। शताब्दी वर्ष का संदेश पीएम मोदी ने अपने भाषण में संघ की 100 साल की यात्रा और समाज में योगदान की सराहना करते हुए कहा कि यह सभी स्वयंसेवकों के लिए गर्व का अवसर है। उन्होंने कहा कि संघ के कार्यकर्ता देश के हर हिस्से में मौजूद हैं और समाज में अपने योगदान से संघ की पहचान बनाते हैं। बहरहाल, RSS शताब्दी समारोह केवल संघ के इतिहास का उत्सव नहीं है, बल्कि यह निस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और समाज सुधार की भावना को उजागर करता है। पीएम मोदी ने इसे देशभर के स्वयंसेवकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बताया और उन्हें राष्ट्र सेवा में और सक्रिय रहने का संदेश दिया। Comments (0) Post Comment
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